श्री विद्यासागर महथाजी

गत्यात्मक ज्योति’ा के विकास की चर्चा के आरंभ में ही इसका प्रतिपादन करनेवाले वैज्ञानिक ज्योति’ाी श्री विद्यासागर महथा का परिचय आव”यक होगा ,जिनका वैज्ञानिक दृ’िटकोण ही गत्यात्मक ज्योति’ा के जन्म का कारण बना। महथाजी का जन्म 15 जुलाई 1939 को झारखंड के बोकारो जिले में स्थित पेटरवार ग्राम में हुआ। एक प्रतिभावान विद्यार्थी कें रुप में म”ाहूर महथाजी राॅची काॅलेज ,राॅची में बी एससी करते हुए अपने एस्ट्ाॅनामी पेपर के ग्रह नक्षत्रों में इतने रम गए कि ग्रह-नक्षत्रों की चाल और उनका पृथ्वी के जड़-चेतन पर पड़नेवाले प्रभाव को जानने की उत्सुकता ही  उनके जीवन का अंतिम लक्ष्य बन गयी। उनके मन को न कोई नौकरी ही भाई और न ही कोई व्यवसाय। इन्हेंाने प्रकृति की गोद में बसे अपने पैतृक गाॅव में रहकर ही प्रकृति के रहस्यों को ढूॅढ़ने का फैसला किया।
                   ग्रह नक्षत्रों की ओर गई उनकी उत्सुकता ने उन्हें ज्योति’ा “ाास्त्र के अध्ययन को प्रेरित किया। गणित वि’ाय की कु”ााग्रता और साहित्य पर मजबूत पकड़ के कारण तात्कालीन ज्योति’ाीय पत्रिकाओं में इनके लेखों ने धूम मचायी। 1975 में उन्हीं लेखों के आधार पर ‘ज्योति’ा-मार्तण्ड’ द्वारा अखिल भारतीय ज्योति’ा लेख प्रतियोगिता में इन्हें प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। उसके बाद तो ज्योति’ा-वाचस्पति ,ज्योति’ा-रतन,ज्योति’ा-मनी’ाी जैसी उपाधियों से अलंकृत किए जाने का सिलसिला ही चल पड़ा।1997 में भी नाभा में आयोजित सम्मेलन में दे”ा-विदे”ा के ज्योति’िायों के मध्य इन्हें स्वर्ण-पदक से अलंकृत किया गया।
                   विभिन्न ज्योति’िायों की भवि’यवाणी में एकरुपता के अभाव के कारणों को ढूॅढ़ने के क्रम में इनके वैज्ञानिक मस्ति’क को ज्योति’ा की कुछ कमजोरियाॅ दृ’िटगत हुईं। फलित ज्योति’ा की पहली कमजोरी ग्रहों के “ाक्ति-आकलन की थी।ग्रहों के “ाक्ति निर्धारण से संबंधित सूत्रों की अधिकता भ्रमोत्पादक थी,जिसके कारण ज्योति’िायों को एक नि’कर्’ा में पहुॅचने में बाधा उपस्थित होती थी। हजारो कुंडलियों का अध्ययन करने के बाद इन्होने ग्रहों की गत्यात्मक “ाक्ति को ढूॅढ़ निकाला। ग्रह-गति छः प्रकार की होती है—- 
अति”ाीघ्री , 2.“ाीघ्री , 3. सामान्य , 4. मंद , 5.वक्र , 6.अतिवक्र ।
                   अपने अध्ययन में इन्होनें पाया कि किसी व्यक्ति के जन्म के समय अति”ाीघ्री या “ाीघ्री ग्रह अपने अपने भावों से संबंधित अनायास सफलता जातक को जीवन में प्रदान करते हैं। जन्म के समय के सामान्य और मंद ग्रह अपने-अपने भावों से संबंधित स्तर जातक को देते हैं। इसके विपरीत वक्री या अतिवक्री ग्रह अपने अपने भावों से संबंधित निरा”ााजनक वातावरण जातक को प्रदान करते हैं। 1981 में सूर्य और पृथ्वी से किसी ग्रह की कोणिक दूरी से उस ग्रह की गत्यात्मक “ाक्ति को प्रति”ात में निकाल पाने के सूत्र मिल जाने के बाद उन्होने परंपरागत ज्योति’ा को एक कमजोरी से छुटकारा दिलाया।
                   फलित ज्योति’ा की दूसरी कमजोरी द”ााकाल-निर्धारण से संबंधित थी। द”ााकाल-निर्धारण की पारंपरिक पद्धतियाॅ त्रुटिपूर्ण थी। अपने अध्ययनक्रम में उन्होने पाया कि ज्योति’ा के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ग्रहों की अवस्था के अनुसार ही मानव-जीवन पर उसका प्रभाव 12-12 वर्’ाों  तक पड़ता है। जन्म से 12 वर्’ा की उम्र तक चंद्रमा ,12 से 24 वर्’ा की उम्र तक बुध ,24 से 36 वर्’ा क उम्र तक मंगल ,36 से 48 वर्’ा की उम्र तक “ाुक्र ,48 से 60 वर्’ा की उम्र तक सूर्य ,60 से 72 वर्’ा की उम्र तक बृहस्पति , 72 से 84 वर्’ा की उम्र तक “ानि,84 से 96 वर्’ा की उम्र क यूरेनस ,96 से 108 वर्’ा क उम्र तक नेपच्यून तथा 108 से 120 वर्’ा की उम्र तक प्लूटो का प्रभाव मनु’य पड़ता है। विभिन्न ग्रहों की एक खास अवधि में नि”िचत भूमिका को देखते हुए ही ‘गत्यातमक द”ाा पद्धति की नींव रखी गयी। अपने द”ााकाल में सभी ग्रह अपने गत्यात्मक और स्थैतिक “ाक्ति के अनुसार ही फल दिया करते हैं।
                   उपरोक्त दोनो वैज्ञानिक आधार प्राप्त हीे जाने के बाद भवि’यवाणी करना काफी सरल होता चला गया। ‘ गत्यात्मक द”ाा पद्धति ’ में नए-नए अनुभव जुडत+े चले गए और “ाीघ्र ही ऐसा समय आया ,जब किसी व्यक्ति की मात्र जन्मतिथि और जन्मसमय की जानकारी से उसके पूरे जीवन के सुख-दुख और स्तर के उतार-चढ़ाव का लेखाचित्र खींच पाना संभव हो गया। धनात्मक और ऋणात्मक समय की जानकारी के लिए ग्रहों की सापेक्षिक “ाक्ति का आकलण सहयोगी सिद्ध हुआ। भवि’यवाणियाॅ सटीक होती चली गयी और जातक में समाहित विभिन्न संदर्भों की उर्जा और उसके प्रतिफलन काल का अंदाजा लगाना संभव दिखाई पड़ने लगा।
                   गत्यात्मक द”ाा पद्धति के अनुसार जन्मकुंडली में किसी भाव में किसी ग्रह की उपस्थिति  महत्वपूर्ण नहीं होती , महत्वपूर्ण होती है उसकी गत्यात्मक “ाक्ति , जिसकी जानकारी के बिना भवि’यवाणी करने में संदेह बना रहता है। गोचर फल की गणना में भी ग्रहो की गत्यात्मक और स्थैतिक “ाक्ति की जानकारी आव”यक है। इस जानकारी  प”चात् तिथियुक्त भवि’यवाणियाॅ काफी आत्मवि”वास के साथ कर पानेे के लिए ‘गत्यात्मक गोचर प्रणाली’ का विकास किया गया ।
                   गत्यात्मक द”ाा पद्धति एवं गत्यात्मक गोचर प्रणाली के विकास के साथ ही ज्योति’ा एक वस्तुपरक विज्ञान बन गया है , जिसके आधार पर सारे प्र”नों के उत्तर हाॅ या नहीं में दिए जा सकते हैं। गत्यात्मक ज्योति’ा की जानकारी के प”चात्  समाज में फैली धार्मिक एवं ज्योति’ाीय भ्रांतियाॅ दूर की जा सकती हैै ,साथ ही लोगों को अपने ग्रहों और समय से ताल-मेल बिठाते हुए उचित निर्णय लेने में सहायता मिल सकती है। आनेवाले गत्यात्मक युग में नि”चय ही गत्यात्मक ज्योति’ा ज्योति’ा के महत्व को सिद्ध करने में कारगर होगा ,ऐसा मेरा वि”वास है और कामना भी। लेकिन सरकारी,अद्र्धसरकारी और गैरसरकारी संगठनों के ज्योति’ा के प्रति उपेक्षित रवैये तथा उनसे प्राप्त हो सकनेवाली सहयोग की कमी के कारण इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कुछ समय लगेगा , इसमें संदेह नहीं है।

 

44 विचार “श्री विद्यासागर महथाजी&rdquo पर;

  1. Dear Sir,

    My DOB is 05.10.1960 and Place of birth is Jhunjhunu(Rajasthan) and time is 7.00 P.M.
    I want to know about my carrier. I am in service with a manufacturing company since March,90 and till March 2007 I have been getting promotion and very satisfying working but there after I am not getting work as per my satisfaction and also my not getting any support and recognition from the higher management inspite of commandable job done by me.
    Pl. guide me about the carrier growth for which i will remaingreateful to you.

  2. dear sir.
    mera naam nirmal ramshare yadav hai meri janam tithi 26-01-1976 hai mai es samay kapade ka vyar karta hu meri radymade kapde ki dukan hai aur main pichale 6 varsh se chala raha hu lekin meri dukan me labh nahi ho raha he aur meri dukan tutati chali ja rahi aur karja bhi badh raha mai bahut hi paresan hu to maherbani kar ke koi upay jaldi se batane ka ksat kere

  3. dear sir.
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  4. Dear Sir,

    My DOB is 08.10.1984 and Place of birth is Ahmedabad(Gujarat) and time is 12.13 P.M.
    I want to know about my carrier. I am in service with a Power plant company since July,2011 and till Date. I have been getting promotion and very satisfying working but there after I am not getting work as per my satisfaction and also my not getting any support and recognition from the higher management inspite of commandable job done by me.& my luck what say.
    Pl. guide me about the carrier growth for which i will remaingreateful to you.

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मानसिक हलचल

प्रयागराज और वाराणसी के बीच गंगा नदी के समीप ग्रामीण जीवन। रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर अफसर। रेल के सैलून से उतर गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलता व्यक्ति।

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